जब ह्रदय तुम्हारा भटकने लगे
यूँ ही कुछ मचलने लगे
तब तुम समझना जवानी आ रही है
कोई कली तुम्हे भा रही है
रातों में आँखे न झपकती हों
और दिन में बेचैनी झलकती हो
तब समझना तुम खो रहे हो
हंसती हुई आँखों से रो रहे हो
जब हर पल याद आती रहे
पल-पल तुम्हे तड़पाती रहे
समझना तुम गिरने लगे हो
प्रेम की राह में फिरने लगे हो
जब पिए बिना नशा छाने लगे
बार-बार मन वहां जाने लगे
तब समझना मदहोश हो रहे हो
धीरे -धीरे होश खो रहे रहे हो
जब दिन में सपने आने लगे
और पराये भी अपनाने लगे
समझना तुम गिरने लगे हो
प्रेम की राह में फिरने लगे हो
जब ख्यालों का शीश महल बनने लगो
हर चोट से उसे बचने लगो
समझना तुम्हारा दिल लग गया है
कुछ नया अरमान जग गया है
जब गर्मी भी पहला सावन लगने लगे
हर ऋतू मन भवन लगने लगे
मान भी लो तुम तुम हो चुके हो
प्यार की गलियों में गुम हो चुके हो
Compiled And Composed By
Vijay Kumar Shukla
11 Nov.2009
Wednesday, November 11, 2009
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Waah kya baat hai...............
ReplyDeletepar pyar ye ki galiyan chalawa hain
ReplyDeletebas bechani ko badhawa hai
in galiyon se tum bach k rahna
sab kuch bharm hai, dikhwa hai
vijay bhai!
aap ki barabri to nahi kar sakte,bas ye ek nazrana hai,
fodu taar.kya baat haiiiiii
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